Om Shanti
Om Shanti
कम बोलो, धीरे बोलो, मीठा बोलो            सोच के बोलो, समझ के बोलो, सत्य बोलो            स्वमान में रहो, सम्मान दो             निमित्त बनो, निर्मान बनो, निर्मल बोलो             निराकारी, निर्विकारी, निरहंकारी बनो      शुभ सोचो, शुभ बोलो, शुभ करो, शुभ संकल्प रखो          न दुःख दो , न दुःख लो          शुक्रिया बाबा शुक्रिया, आपका लाख लाख पद्मगुना शुक्रिया !!! 

अच्छी धारणा


अच्छी धारणा
·          जब आपकी धारणा अच्छी होती है तब स्वत: ही सेवा का उमंग-उत्साह बना रहता है। और आपकी धारणा तब अच्छी होती है जब आप योग से शक्तियों को प्राप्त करते हो। यह केवल ज्ञान सुनाने की बात नहीं है लेकिन ज्ञान स्वरूप होकर चलना है और सेवा की अन्दर से भावना रखनी है।
·          दूसरों को क्या करना चाहिए यह कहना तो बहुत आसान है लेकिन हमें क्या करना चाहिए यह सुनना बहुत मुश्किल है।
·          आत्म अभिमानी स्थिति से स्वयं को समझने की शक्ति मिलती रहती है। बाबा के साथ गहरे सम्बन्ध से अपने आपको परिवर्तन करने की शक्ति प्राप्त होती है। समय की स्मृति से अभी-अभी परिवर्तन करने की शक्ति प्राप्त होती है।
·          जब आप अपने आपको अच्छी तरह से समझते हो तभी आप अन्दर से खुश रह सकते हो। जब आप अपने आपको अच्छी तरह से समझते हो तभी आप श्रीमत का एक्यूरेट पालन कर सकते हो। अगर तुम क्यूं और क्या करते रहते हो इसका मतलब ड्रामा को अच्छी तरह से समझा नहीं है।


·          अपने मन में कोई बात आने न दो, क्योंकि बातें भय पैदा करती हैं। मेरे मन में मेरी आज्ञा की बिना कोई बात बात मन में आ न सके। दो पहरेदार सदा बनाये रखो - पवित्र और दृढ़ संकल्प।
·          हर बात को शुभ भावना से स्वीकार करो, दूसरे जो कुछ भी कहना चाहते हैं, यह मेरे लिए एक मौका है मरने और झुकने का।
·          ईमानदारी और स्नेह प्यार के अलावा कुछ भी हो नहीं सकता। अगर आपके पास पुरानी बीती हुई बातों को खत्म करने की क्षमता नहीं है तो भविष्य के लिए आपके पास शक्ति नहीं होगी।
·          हमें प्यार से भरपूर करने के लिए बाबा ने यज्ञ में कुछ नियम और मर्यादाओं को बनाया है। गुरुवार को बाबा को भोग लगाना यह रिवाज बाबा ने शुरू किया हमें खिलाने के लिए। और इस बात से आश्वस्त होने के लिए कि हरेक को यज्ञ की सेवा का अवसर मिले। अगर अभी आप बाबा को भोग स्वीकार नही कराते हो तो अन्त में भोजन मिलेगा इसकी कोई गैरन्टी नहीं है। प्यार से और दिल से भोग बनाओ तथा बाबा को स्वीकार कराओ तो बाबा भी दिल से उसका रिटर्न देता रहेगा। बाबा नहीं चाहते कि हम चाहे बाबा से या किसी और से भी कुछ मांगे।
·          समय की कदर करो, अगर आप समय की कदर नहीं करते तो कमाई नहीं कर पाओगे। हम सबके पास समय है। समय का सदउपयोग करो तो मूंझ नहीं होगी। फिर जिससे भी मदद की आवश्यकता है वो सामने आकर खड़े हो जायेंगे। जो हर दिन और हर क्षण की कीमत को जानते हैं ऐसे लोग महाराजा और महारानी कहलाते हैं और वो सदा बहुत-बहुत खुश रहते हैं।
·          अहंकार हमारा बहुत ज्यादा समय बरबाद करता है। अपनी पहचान बनाने की इच्छा ही अभिमान है। `मैं भगवान का बच्चा हूँ ‘– अभिमान यह अहसास होने नहीं देता। अहंकार तो खुद के लिए होता है लेकिन दूसरों के लिए और परिस्थितियों के लिए शंका होती है।
·          क्या मैं मरने के लिए तैयार हूँ? मुझे अपना यह शरीर सम्पूर्ण सतोप्रधान बनकर ही छोड़ना है जिसमें कि अंशमात्र भी रजो और तमो का प्रभाव न हो। नहीं तो हमारे साथ और क्या जायेगा केवल हमारी ईमानदारी और सच्चाई।
·          मैंने भल अपने लौकिक के साथ के लगाव को समाप्त किया हो लेकिन उनका मेरे से लगाव समाप्त नहीं हुआ होगा इसलिए मुझे कभी-कभी उदासी आती है। अगर कोई मुझे दैहिक रूप से याद करता है तो मैं सेवा कर नहीं सकती हूँ। अगर अशंमात्र भी कहीं लगाव है तो ईश्वरीय प्यार का अनुभव नहीं होगा।
·          ज्ञान की गहराई को समाने के लिए स्वच्छ बुद्धि की आवश्यकता है और इस ज्ञान को धारण करने से ही वह ज्ञान के रतन बन जाते हैं।
·          बाबा को सभी इतना प्यार क्यों करते हैं, क्योंकि वह आत्माओं की बुद्धि को बदल देता है।
·          सबकुछ अच्छा ही होगा यह है अन्दर से निकलने वाली विश्वास की आवाज। विश्वास, विजय का अनुभव कराता है।
·          समर्पित होना माना अपने संकल्प, बोल और कर्म को सफल करना।
·          शुद्ध और श्रेष्ठ विचार सभी का फायदा करते हैं और दूर बैठे भी कार्य सम्पन्न हो जाते हैं।
·          अन्तर्मुखी बनना अर्थात्‍ अपने आइने को सदा साफ रखना और उसमें सदा चेकिंग करते रहना।
·          अपने आपको भगवान का बच्चा समझना और अटेन्शन रखना कि मन और बुद्धि सदा सही संस्कार धारण करें।
·          ऊंच नीच के भाव से भय उत्पन्न होता है और अपनेपन का भाव समाप्त होता है।
हिम्मत, विश्वास और शुद्ध भावना इन्हें सदा अपने साथ बनाये रखो, भले आपके पास एक पाई भी न हो।
·          अन्दर से सच्चे रहो और व्यवहार में नम्रता रखो।

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