Om Shanti
Om Shanti
कम बोलो, धीरे बोलो, मीठा बोलो            सोच के बोलो, समझ के बोलो, सत्य बोलो            स्वमान में रहो, सम्मान दो             निमित्त बनो, निर्मान बनो, निर्मल बोलो             निराकारी, निर्विकारी, निरहंकारी बनो      शुभ सोचो, शुभ बोलो, शुभ करो, शुभ संकल्प रखो          न दुःख दो , न दुःख लो          शुक्रिया बाबा शुक्रिया, आपका लाख लाख पद्मगुना शुक्रिया !!! 

Murli of Sep 24, 2012

[24-09-2012]

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - यह पूज्य और पुजारी, ज्ञान और भक्ति का वन्डरफुल खेल है, तुम्हें अब फिर से सतोप्रधान पूज्य बनना है, पतितपने की निशानी भी समाप्त करनी है''
प्रश्न: बाप जब आते हैं तो कौन सा एक तराजू बच्चों को दिखाते हैं? 

उत्तर: ज्ञान और भक्ति का तराजू। जिसमें एक पुर (पलड़ा) है ज्ञान का, दूसरा है भक्ति का। अभी ज्ञान का पुर हल्का है, भक्ति का भारी है। धीरे-धीरे ज्ञान का पुर भारी होता जायेगा फिर सतयुग में केवल एक ही पुर होगा। वहाँ इस तराजू की दरकार ही नहीं है।
धारणा के लिए मुख्य सार: 
1) यह जीवन बाप की सेवा में लगानी है। बहुत-बहुत सुखदाई बनना है। कोई उल्टा-सुल्टा बोले तो शान्त रहना है। बाप समान सबके दु:ख दूर करने हैं।
2) अपने रजिस्टर की जाँच करनी है। दैवीगुण धारण कर चरित्रवान बनना है। अवगुण निकाल देने हैं।
वरदान: मन से दृढ़ प्रतिज्ञा कर मनमनाभव के मन्त्र को यन्त्र बनाने वाले सदा शक्तिशाली भव
जो बच्चे सच्चे मन से प्रतिज्ञा करते हैं तो मन मन्मनाभव हो जाता है और यह मन्मनाभव का मन्त्र किसी भी परिस्थिति को पार करने में यन्त्र बन जाता है। लेकिन मन में आये कि मुझे यह करना ही है। यही संकल्प हो कि जो बाप ने कहा वह हुआ ही पड़ा है इसलिए कोई भी प्रतिज्ञा मन से करो और दृढ़ करो तो शक्तिशाली बन जायेंगे। बार-बार अपने को चेक करो कि प्रतिज्ञा पावरफुल है या परीक्षा पावरफुल है? परीक्षा प्रतिज्ञा को कमजोर न कर दे।
स्लोगन: जो स्वमान में रहने वाली श्रेष्ठ आत्मा हैं उन्हें अपमान की फीलिंग नहीं आ सकती। 
[24-09-2012]

Essence: Sweet children, this is the wonderful play of being worthy of worship and a worshipper, of knowledge and devotion. You now have to become satopradhan and worthy of worship once again and also end all signs of impurity.
Question: When the Father comes, what scales does He show you children?
Answer: The scales of knowledge and devotion. On one side of the scales is knowledge and on the other side is devotion. The side of knowledge is now light and that of devotion is heavy. Gradually, the side of knowledge will become heavy and then, in the golden age, there will be just one side of the scales. There is no need for scales there.

Essence for dharna: 
1. Engage this life of yours in the Father’s service. Become a bestower of a lot of happiness. If someone says wrong things, remain quiet. Become equal to the Father in removing everyone’s sorrow.
2. Check your own register. Imbibe divine virtues and become one with a good character. Remove all defects.


Blessing: May you be constantly powerful and with your mind, with a determined promise, make the mantra of manmanabhav into a tool.
When children make a promise with an honest mind, their mind becomes manmanabhav and this mantra of manmanabhav becomes a tool to overcome any situation. However, it should enter your mind: I definitely want to do this. Have the thought that whatever the Father has said is already accomplished. Therefore, whatever promise you made in your mind, let it be firm and you will become powerful. Repeatedly check yourself as to whether your promise is powerful or whether the tests are powerful. The test should not weaken your promise.
Slogan: Elevated souls who keep their self-respect cannot have any feeling of being insulted. 

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