Om Shanti
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कम बोलो, धीरे बोलो, मीठा बोलो            सोच के बोलो, समझ के बोलो, सत्य बोलो            स्वमान में रहो, सम्मान दो             निमित्त बनो, निर्मान बनो, निर्मल बोलो             निराकारी, निर्विकारी, निरहंकारी बनो      शुभ सोचो, शुभ बोलो, शुभ करो, शुभ संकल्प रखो          न दुःख दो , न दुःख लो          शुक्रिया बाबा शुक्रिया, आपका लाख लाख पद्मगुना शुक्रिया !!! 

Avyakt BapDada : November 05, 2014




05-11-14 ओम् शान्ति “अव्यक्त बापदादा” मधुबन

“अपने जगे हुए दिव्य स्वरूप में ऐसा रहो जो आपके सामने आने वालों का दीप जग जाए, आपका साधारण स्वरूप उन्हें दिखाई न दे”
चारों ओर के चैतन्य जगे हुए दीपकों को दीपराज की ओम् शान्ति । यह चैतन्य दीपक कितने प्यारे हैं । आप सबका यादगार विश्व में मना रहे हैं और आप चैतन्य दीपक दीपराज से मिलन मना रहे हैं । हर एक दीपक दीपराज की याद में चमक रहे हैं । बापदादा भी हर दीपक को बहुत बहुत बहुत दिल से यादप्यार दे रहे हैं । हर दीप बहुत स्नेही और दिल में समाने वाले हैं । चारों ओर की रोशनी कितनी दिल को लुभाने वाली है । सबके दिल से क्या निकल रहा है? वाह! वाह! वाह! यह चैतन्य दीपक जिनका यादगार विश्व में मना रहे हैं । वह चैतन्य दीपक दीपराज से मिलन मनाने पहुंच गये हैं । आने वाले सभी दीपकों को देख दीपराज भी कितना दिल से खुश हो रहे हैं । वाह मेरे दीपक वाह! हर एक दीपक की ज्योति नम्बरवार चमक रही है । बापदादा तो वही ज्योति देख सभी दीपों को मुबारक दे रहे हैं । मुबारक हो, मुबारक हो, मुबारक हो । आप लोगों का ही यादगार विश्व में मना रहे हैं । और आप चैतन्य दीपक दीपराज से मिलन मना रहे हो । यह मिलन भी बहुत प्यारा और न्यारा है । हर दीपक के दिल में कौन समाया हुआ है? दीपराज मेरा बाबा । हर एक के सूरत में दीपराज की याद समाई हुई देख रहे हैं ।

आज के दिन आप भी विश्व में अपना यादगार देख रहे हो ना । कितने भक्त चारों ओर आप दीपकों को याद कर रहे हैं और चैतन्य दीप रूप में आप दीपराज से मिलन मना रहे हो । यह मिलन का दिन दीवाली के रूप में मना रहे हैं । आप सबको भी अपना यादगार देख खुशी होती है दिल में कि वाह दीपराज वाह! हर साल का यादगार बना दिया है । आप समझ सकते हैं कि यह दीप की ज्वाला क्या है! रोशनी क्या है! भक्त तो कोई न कोई रोशनी जगा देता है । लेकिन आप सच्चे दीपक जानते हो कि दीपराज और दीपकों का मिलन हो रहा है । बापदादा भी एक-एक दीपक को देख आगे से पीछे वालों को दूर से देख खुश हो रहे हैं, वाह दीपराज के दीपक वाह! अपना ही यादगार देख रहे हो और चैतन्य रूप में आप दीपराज से मिलन मना रहे हो । एक-एक दीपक की अपनी-अपनी रोशनी कितनी प्यारी लगती है । अगर स्थूल में भी 10-12 दीपक इकट्ठे करो तो उनकी ज्योति कितनी अच्छी लगती है और बापदादा खुश है कि बापदादा को इतने चैतन्य दीपक सम्मुख देखने को मिल रहा है और बापदादा हर एक दीपक को यही कह रहे हैं वाह दीपक वाह! तो बापदादा ही चैतन्य में दीपकों को देख सकते हैं वा बाप के बच्चे ही एक-दो को देख रहे हैं । आप सभी किस रूप में बैठे हो! चैतन्य दीपक के रूप में हो ना! हर एक की ज्योति अगर दृश्य देखो तो बड़ी रीयल और सुन्दर दिखाई देती है । सारा फेस ही दीपक के मुआफिक जगमगा रहे हैं । आप भी अपने को उसी रूप में जान रहे हो और अपने को साक्षी होकर देख कितने मुस्करा रहे हो । बापदादा भी हर मुस्कराते हुए दीपक को देख चैतन्य दीपकों की दीवाली मना रहे हैं । हर एक दीपक अपनी दिव्य ज्योति फैला रहे हैं । अगर इतने दीपक स्थूल में जग जाएं तो कितना सुन्दर नजारा हो जाए लेकिन बापदादा चैतन्य सच्चे दीपकों की माला को देख रहे हैं । हर एक दीपक अपने अपने प्रैक्टिकल धारणा के स्वरूप में बापदादा देख रहे हैं और खुश हो रहे हैं वाह मेरे जगे हुए दीपक वाह!

बापदादा आप चैतन्य दीपकों को देख कितने खुश हो रहे हैं । वाह दीप वाह! आप सबको भी अपना स्वरूप दीपक की रोशनी स्वरूप दिखाई दे रहा है ना । बापदादा को तो बहुत अच्छा जगते हुए दीपक नम्बरवार तो हैं लेकिन जगे हुए दीपकों की सभा देख कितनी खुशी हो रही है । वाह जगे हुए दीपक वाह! सदा जागती ज्योत, भक्त कितना प्यार से याद करते हैं और बापदादा अपने सामने दीपकों को देख खुश हो रहे हैं वाह दीप वाह! आप सबने मिलकर विश्व के अन्दर दीप जगाये हैं और जगाते रहेंगे । तो बापदादा क्या देखते हैं! चैतन्य दीपकों को देख बहुत खुश हो रहे हैं वाह बच्चे वाह! वाह दीपक वाह!

अभी आगे भी अपनी ज्योति से, दीपक की ज्योति से औरों को दीप बनाके जगाते चलो । विश्व में चैतन्य दीपकों को नहीं जानते हैं तो स्थूल दीपक जगाते हैं । लेकिन आप सभी आज किसको देख रहे हो? जगे हुए दीपकों को, चैतन्य सूरत में देख रहे हो । बापदादा भी चैतन्य रूप में एक-एक बच्चे को दीपक के रूप में गाते हुए देख खुश हो रहे हैं । रोशनी में फर्क तो है, नम्बरवार है लेकिन बुझे हुए से जग तो गये ना । तो बापदादा जगे हुए दीपकों की सभा देख रहे हैं । वह तो सिर्फ दीपमाला जगाते हैं लेकिन बापदादा जगे हुए दीपकों की सभा देख रहे हैं, संगठन देख रहे हैं । बताओ कितना प्यारा है । एक-एक चैतन्य दीपक अपनी ज्योति को जान सकते हैं । बापदादा स्वरूप में देख रहे हैं और बच्चे बुद्धि द्वारा जान सकते हैं । तो आप सभी ने इस सभा में दीवाली, सच्चे दीपकों की दीवाली, जगे हुए दीपकों की दीवाली देख रहे हो ना । देख रहे हो, हाथ उठाओ । अपने को भी देख रहे हो ना!

बापदादा चैतन्य दीपकों को देख बहुत खुश हो रहे हैं वाह दीपक वाह! एक-एक दीपक अपनी अपनी रोशनी क्या रौनक दिखा रहे हैं । हर एक की सूरत अपनी- अपनी जगी हुई सूरत से अपना परिचय दे रहे हैं । तो आज के दिन दीपराज सच्चे दीप बच्चों को देख-देख कितने हर्षित हो रहे हैं । वाह दीपक बच्चे वाह! आप लोग भी अभी-अभी जगे हुए रूप से अनेक अपने भक्तों को साक्षात्कार करा रहे हैं । द्वापर से लेके आपके भक्त भी कितने होंगे! चाहे आपके रूप को जानें न जानें लेकिन उन्हों को ड्रामा दिखा रहा है, हमारे दीपक राजे आ गये हैं । आप यहाँ साधारण रूप में बैठे हो लेकिन आपके भक्त आपको दीप के रूप में देख रहा है और बापदादा वाह बच्चे वाह के स्वरूप में देख रहे हैं । दीपराज और दीपकों का मिलन कितना सुन्दर है । बाप के दिल में वाह बच्चे वाह आ रहा है और बच्चों के दिल में वाह बाबा वाह आ रहा है । तो सभी खुश और आबाद हैं? हैं? हाथ उठाओ । वाह! वाह बच्चे वाह! कोई भी बात आवे, आप जगे हुए दीपक के सामने आवे तो दीप जग जाए । ऐसे दीपराज आप हो, आपके सामने आते ही वह अपने स्वरूप को जान जाए । ऐसा भी समय आयेगा जो आपके सामने आने से आपका दिव्य स्वरूप देखने में आवे, साकार साधारण स्वरूप गायब हो जाए । जैसे बापदादा के सामने आते हो तो बापदादा जैसा समय उस रूप में देखते हो ऐसे ही आप सभी भी ऐसे दिखाई देंगे । साधारण नहीं दिखाई देंगे, साधारण रूप में देवता रूप में या देवी के रूप में दिखाई देंगे । अभी भी कोई-कोई बच्चों से यह प्रैक्टिकल भासना आती है लेकिन सभी ऐसी स्टेज में पहुंच ही जायेंगे ।

बापदादा आज आप सबको चैतन्य दीपक के रूप में ही देख रहे हैं और हर एक के प्रति वाह वाह निकल रहा है । सभी खुश हैं! खुश हैं? हाथ उठाओ । वाह! खुशी तो आपकी अपनी चीज है, खुशी कोई और चीज नहीं, अपनी चीज है वह अपने में लाओ बस और क्या करना है! अच्छा ।
सेवा का टर्न कर्नाटक और इन्दौर जोन का है :-
(कर्नाटक के 10,000 आये हैं) बहुत अच्छा । बढ़ते चलो, बढ़ाते चलो । अच्छा यज्ञ सेवा का चांस लिया और सबको सेवा से अपना परिचय दिया । बापदादा भी कर्नाटक निवासियों को खास यादयार दे रहे हैं ।इन्दौर जोन (3000 आये हैं) :-
बहुत अच्छा । अच्छा है हर एक को चांस मिलता है और सब खुशी-खुशी से चांस को प्रैक्टिकल में लाते हैं । तो देखो कितने आये हुए हैं । सेवा का भाग्य बहुत अच्छा मिला हुआ है । ब्राह्मण ब्राह्मणों की सेवा करते हैं । यह भाग्य कितना प्यारा है और खुश कितने होते हैं । आप सबको खुशी हो रही है ना कि हमको चांस मिला है । अच्छा है । डबल विदेशी भाई बहिनें :-
अच्छे आये हैं । डबल विदेशी कोई चांस में चांस नहीं लेवे, ऐसा नहीं होता । चाहे थोड़े चाहे बहुत हाजिरी सब तरफ की होती है । अच्छा है, डबल विदेशियों को डबल बार क्या हजार डबल बार बधाई । और यहाँ के जोन को जो सेवा में निमित्त बने हैं उन्हों को कितने बार हजार बार मुबारक हो, मुबारक हो । हर एक के दिल से सेवा के लिए मुबारक निकल रही है, यह बापदादा दिल को देख रहे है । डबल विदेशी बच्चों को भी खड़े हुए हैं, अच्छा लग रहा है । डबल विदेशी किसी भी पार्ट में पार्ट जरूर लेते हैं, यह बापदादा को अच्छा लगता है । कमाल है, कहाँ से भी पहुंच जाते हैं । तो डबल विदेशियों को डबल मुबारक हो और यहाँ के सेवाधारियों को हजार बार मुबारक है, मुबारक है ।पहली बार बहुत आये हैं : -
अच्छा है, बापदादा देख रहा है, अच्छा है । बापदादा इस साधू को भी देख रहा है । (कर्नाटक से एक महात्मा जी आये हैं, उन्हें बापदादा देख रहे हैं) अच्छा है अपने हमजिन्स को जगाना । ऐसे ग्रुप लेके आओ तो अच्छा सभी समझेंगे कि इन्हों की सेवा भी कम नहीं रह जाए । फिर भी काम तो अच्छा करते हैं ना । आत्माओं को कुछ न कुछ सुनाते हुए कुछ न कुछ अच्छा बनाते ही हैं । काफी चीजों से ठीक करते हैं । तो बापदादा इन्हों को भी याद दे रहे हैं । अच्छा ।

आज का दिन मनाया । लेकिन सदा आप तो हैं ही प्रैक्टिकल लाइफ में, हर एक के दिल में सदा बाप है और आप भी सदा बाप के दिल में हैं । अच्छा ।
दादी जानकी से :-
शरीर को चलाना तो आता है ना । ठीक है ना । यही ताकत है । बापदादा समय पर ताकत दे देता है । अच्छा है । सभी बच्चे अपना-अपना काम अच्छा कर रहे हैं इसलिए सभी को मुबारक हो । आप सभी को भी मुबारक है, मुबारक है ।मोहिनी बहन :-
ठीक है । बहुत फर्क आ गया है । (आप वरदान देते चलें) हो जायेगा । सेवा करेगी । अन्दर ही करो । यहाँ तो बहुत आते ही हैं और स्थान पर जाना पड़ता है, यहाँ सब आपेही आते हैं । (यह बाहर सेवा पर जाना चाहती हैं) ले जाओ तो ठीक उमंग रहेगा ।रमेश भाई से :-
अच्छा है, सभी मिलके आपस में सेवा के प्लैन वगैरा बनाते हो वह बापदादा को अच्छा लगता है । कर रहे हो और भी करना । आपस में मीटिंग करते हो सेवा की, थोड़ा और भी बढ़ाते जाओ । अच्छा है । अभी अच्छा चल रहा है । बृजमोहन भाई से :-
सदा ठीक रहेंगे । अच्छा ।
Avyakt Audio MP3 Murli Linkhttp://bkdrluhar.com/00-Avyakt Murli\Hindi MP3\2014-2015\AV-H-05.11.2014.mp3


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